Yoga Practice for Healthy Person : स्वस्थ व्यक्ति के लिए जरूरी योगाभ्यास 

Yoga Practice for Healthy Person :- 10 मिनट का यथाशक्ति तीव्र व्यायाम, यौगिक जॉगिंग, सूर्यनमस्कार दण्ड बैठक आदि तथा 10 से 12 आसन 10 से 15 मिनट तक अवश्य करेंलगभग 45 मिनट का प्राणायाम, ध्यान का अभ्यास एक स्वस्थ, आध्यात्मिक, दिव्य दीर्घजीवन के लिए अत्यन्त आवश्यक हैकुल एक से सवा घण्टे का योगाभ्यास आदर्श स्वास्थ्य हेतु आवश्यक है। 

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योगाभ्यास के मूल सिद्धान्त 

  • योगाभ्यास में ध्यानपूर्वक किए हुए प्राणायाम से हम 99 % से लेकर 100 % रोगों का पूर्ण समाधान कर सकते हैं। 
  • मोटापा, मेरुदण्ड एवं समग्र योगाभ्यास रोगोपचार की दृष्टि से अत्यन्त आवश्यक हैइन रोगों में प्राणायाम के साथ ये अभ्यास भी अत्यन्त अनिवार्य हैं। 
  • सम्यक् विधि, समय, एकाग्रता निरन्तरतापूर्वक किया हुआ योगाभ्यास हमारे व्यक्तित्व की पूर्ण अभिव्यक्ति (Complete Expression), पूर्ण संतुलन (Complete Balance), पूर्णजागरण (Complete Awakening), पूर्णदिव्य रूपान्तरण (Complete Divine transformation) करता है। 

योगाभ्यास सिम्प्टोमेटिक (Symptomatic ) के साथसाथ सिस्टेमिक ट्रीटमेंट (Systemic Treatment) हैइससे हमें रोगों का तात्कालिक एवं दीर्घकालिक स्थायी समाधान प्राप्त होता है

  • योगाभ्यास यथाशक्ति करना चाहिए- 
  • हर्निया होने पर पीछे नहीं झुकना तथा मेरुदण्ड में अधिक पीड़ा होने पर आगे नहीं झुकना चाहिए ।
  • उच्च रक्तचाप हृदयरोग होने पर शीर्षासन, सर्वाङ्गासन वेगपूर्वक योगाभ्यास नहीं करना चाहिए
  • पेट की सर्जरी के बाद 4 से 6 माह तक कपालभाति प्राणायाम नहीं करना चाहिए । 
  • गर्भवती महिलाओं को सावधानीपूर्वक योगाभ्यास करना चाहिए एवं कपालभाति प्राणायाम नहीं करना चाहिए इस प्रकार कुछ सामान्य विधि – निषेध व समग्र / समन्वित योगाभ्यास के नियमों का ध्यान रखना चाहिए ।
  • रोगों के पूर्णनिर्मूलन हेतु । घण्टे योगासन तथा 1 से 2 घण्टे प्राणायाम अत्यन्त आवश्यक है। जीवनशैलीजनित, वंशानुगत एवं असाध्य रोगों की निवृत्ति हेतु प्रारम्भ में अधिक समय तथा रोग नियंत्रित होने के बाद लगभग 1 से 2 घण्टे का योगाभ्यास पर्याप्त है। 
  • SLE, MS, ऑटोइम्यून डिजीज़ (Auto immune diseases) एवं कैंसर गाँठ आदि असाध्य रोगों में कपालभाति एवं अनुलोमविलोम प्रतिदिन 2 से 3 बार कुल 4 से 6 घण्टे तक का अभ्यास करना चाहिए
  • योग, यज्ञ, आयुर्वेद, नेचुरोपैथी एवं आध्यात्मिक जीवन पद्धति के साथ रोगानुसार पथ्यापथ्य, कल्प, उपवास, मेडिकेटिड वॉटर (Medicated water), मेडिकेटिड फूड (Medicated food) तथा विभिन्न षट्कर्म एवं पंचकर्म चिकित्सा भी रोगनिर्मूलन हेतु अत्यन्त आवश्यक या अपरिहार्य हैं। 
  • योगाभ्यास में श्रद्धातत्त्व सर्वोपरि हैअतः गुरु भगवान् की शरणागति के भाव से पूर्ण विश्वासपूर्वक योगासन, प्राणायाम, ध्यान की त्रिवेणी का पूर्ण विवेक, पूर्णभक्ति व पूर्ण पुरुषार्थपूर्वक अर्थात् पुरुषार्थ की पराकाष्ठा के साथ किया हुआ योग आपका पूर्ण दिव्य रूपान्तरण करके आपके लिए कल्पवृक्ष की तरह होता है और आपको दिव्य जीवन प्रदान करता है। 
  • औषधमुक्ति रोगमुक्ति के तीन चरण हैं- 
  • प्रथम योगाभ्यास, यज्ञ, आयुर्वेद, नेचुरोपैथी एवं आध्यात्मिक जीवनशैली का पूर्ण अभ्यास प्रारम्भ करना
  • फिर प्रथम एलोपैथी की दवा छोड़कर आयुर्वेद पर स्थानान्तरित होना। 
  • फिर धीरेधीरे आयुर्वेद की औषधियों की आवश्यकता समाप्त हो जाती है और हम अपने सहज स्वस्थ स्वरूप में अवस्थित हो जाते हैं। 
  • सदा उच्च चेतना में जीने को आलम्बन या साधन हेतु प्रतिदिन आस्था चैनल सोशल मीडिया के माध्यम से लाइव योग करने से नित्य नवऊर्जा के दिव्य स्पन्दन अनुभव में आते हैं। 
  • एक आसन को 1 मिनट से प्रारम्भ करके 10 मिनट तक करें तथा मोटापा हेतु एक एक अभ्यास को 100 से 500 आवृत्ति तक करेंआसन के साथ प्राणायाम तथा ध्यान अवश्य करें1 से 10 आवृत्ति में योगाभ्यास सम्पन्न होगा। 

ध्यान का लक्ष्य व प्रयोजन 

इस गुणातीत, भावातीत, दिव्य ऊर्जा से अभिषिक्त हुआ साधक शनैः शनैः समस्त रोगों, क्लेशों, दुःख, दरिद्र्य से मुक्त होकर जीवन की पूर्णता में प्रतिष्ठित हो जाता हैयही जीवन का अन्तिम लक्ष्य जीवनमुक्ति, निर्वाण या मोक्ष हैहम भी योग से जीवन्मुक्त होकर ईश्वरीय दिव्यता से युक्त होकर भगवान् के यंत्र बन जाए। 

मोटापा के लिए योगाभ्यास (Yoga Practice for Obesity) 

यौगिक जॉगिंग, सूर्यनमस्कार, दौड़ना तैरना खेलना आदि यथारूचि अनुसार कर सकते हैंमुख्य रूप से 12 आसन मोटापा हेतु, 2 विश्रामात्मक आसन तथा 6 प्राणायाम अवश्य करें। 

योगासन 

  • तिर्यक्ताड़ासन 
  • भुजङ्गासन (2 अभ्यास
  • त्रिकोणासन 
  • कोणासन 
  • पादहस्तासन 
  • स्थितकोणासन 
  • चक्की आसन 
  • पश्चिमोत्तानासन 
  • भस्त्रिका 
  • कपालभाति 
  • उज्जायी 
  • शलभासन 

प्राणायाम

  • अर्द्धहलासन 
  • पादवृत्तासन 
  • द्विचक्रिकासन 
  • मर्कटासन (3 अभ्यास
  • शवासन 
  • अनुलोमविलोम 
  • भ्रामरी 
  • उद्गीथ 

समग्र / समन्वित योगाभ्यास (Integrated Yoga Practice) 

मधुमेह (Diabetes)21,22,23,24,25,26,27,28,29,30, उदर रोग (Abdominal disorders), यकृत् विकार (Liver disorders), वृक्क विकार (Kidney disease), आन्त्र रोग (Gastro intestinal disorders), प्रजनन संस्थान के रोग (Gynae & Obstetrics disorders), मूत्र संस्थान के रोग (Urinary disorders), उच्च रक्तचाप (High Blood pressure), हृदयरोग (Cardiac disorder), चर्म रोगादि (Skin diseases) समस्त रोगों में उपयोगी योगाभ्यास का अभ्यास क्रम। 

योगासन 

  • मण्डूकासन – 2 अभ्यास 
  • शशकासन
  • योगमुद्रासन
  • अर्द्धमत्स्येन्द्रासन 
  • वक्रासन 
  • पादांगुष्ठनासास्पर्शासन 
  • गोमुखासन 
  • पवनमुक्तासन 
  • उत्तानपादासन 
  • नौकासन 
  • सेतुबंधासन 11. मर्कटासन 
  • सर्वाङ्गासन 
  • हलासन 
  • भुजङ्गासन 
  • शवासन 

निर्देश:

  • जो सभी आसन नहीं कर पाए वे 3 से 5 आसन अवश्य करें तथा 3 से 5 आसनों को ही कम से कम 1 घण्टा अवश्य करेंजैसे मधुमेह, कब्ज या फैटी लिवर आदि से पीड़ित व्यक्ति यदि मात्र मण्डूकासन, वक्रासनपवनमुक्तासन ही कर पाता है तो इन्हीं आसनों को 10 आवृत्ति में 01 घण्टे तक करें। 
  • अस्थमा के रोगी भस्त्रिका, आभ्यान्तर या दीर्घ श्वसन के साथ, कोलाइटिस व अल्सर के रोगी सहज श्वसन के साथ; यौन रोगी, गुदभ्रंश योनिभ्रंश के रोगी बाह्य प्राणायाम के साथ; गला एवं थायरॉइड के रोगी कपालभाति व उज्जायी के साथ तथा शेष सभी रोगी कपालभाति के साथ सभी आसनों का अभ्यास करें। 
  • मैं स्वभाव से रोगी नहीं योगी हूँ ऐसी भावना बनाते हुए तथा अपने मूल स्वभाव या स्वरूप में रहते हुए, भगवान् को सभी नामरूपों में प्रत्यक्ष अनुभव करते हुए तथा नामरूप के भी पार परब्रह्म की अनुभूति के साथ आसनपूर्वक प्राणायाम ध्यान का अभ्यास सर्वरोगनिवृत्ति के लिए आवश्यक है। 

मेरुदण्ड के लिए योगाभ्यास (Yoga Practice for Spinal Disorders) 

योगासन 

  • सूक्ष्म व्यायाम 7 अभ्यास 
  • उष्ट्रासन/अर्द्धउष्ट्रासन 
  • अर्द्धचन्द्रासन 
  • मकरासन- 2 अभ्यास 
  • भुजङ्गासन 4 अभ्यास 
  • शलभासन- 4 अभ्यास 
  • अर्द्धपवनमुक्तासन 2 अभ्यास 
  • धनुरासन 
  • एकपाद उत्तानासन
  •  सेतुबंधासन
  • कटि उत्तानासन 
  • ताड़ासन 
  • स्थित ताड़ासन 
  • अर्द्धचक्रासन
  • मर्कटासन – 3 अभ्यास 

प्राणायाम 

  • भस्त्रिका 
  • भ्रामरी
  • उद्गीथ
  • ओ३म् का ध्यान 
  • कपालभाति 
  • अनुलोमविलोम 

थायरॉइड के लिए योगाभ्यास (Yoga Practice for Thyroid) 

योगासन 

  1. सिंहासन 
  2. हलासन 
  3. सर्वाङ्गासन 
  4. मत्स्यासन 
  5. उष्ट्रासन 
  6. ग्रीवासंचालन 

प्राणायाम 

  • कपालभाति 
  • उज्जायी 

» एक्यूप्रेशर का विशेष अभ्यास करें। 

विद्यार्थी व युवाओं के लिए योगाभ्यास (Yoga Practice for Students & Youngsters) 

योगासन 

  • सूर्यनमस्कार 
  • शीर्षासन 
  • सर्वाङ्गासन 
  • हलासन 
  • चक्रासन 
  • 12 दण्ड बैठक 
  • यथाशक्ति प्रतिस्पर्धात्मक आसन 
  • पश्चिमोत्तानासन 
  • यौगिक जॉगिंग

प्राणायाम 

मुख्य प्राणायाम म् गायत्रीमंत्र, ध्यान आदि

योगाभ्यास की अधिक जानकारी के लिए योगसाधना एवं चिकित्सा रहस्य पुस्तक तथा प्राणायाम की विस्तृत जानकारी के लिए प्राणायाम रहस्य पुस्तक अवश्य पढ़ें।

योग और स्वास्थ्य 

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